8 September Avataran Diwas
Struggle life with Spiritual knowledge
*🎋जनकल्याण के लिए परम संत रामपाल जी महाराज जी का अद्भुत त्याग एवं संघर्ष🎋*
परम संत सतगुरु रामपाल जी महाराज गुरुपद प्राप्त करने से पहले साधारण जीवन यापन कर रहे थे उन्हें नहीं पता था कि वह कभी गुरु पद पर भी प्राप्त होंगे। उनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत (हरियाणा) के किसान परिवार में हुआ। वह सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर प्राप्त थे। संत रामपाल जी महाराज जी की मुलाकात 37 वर्ष की आयु में परम संत स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से हुई जिससे उन्होंने 1988 में नाम दीक्षा ग्रहण की। संत रामपाल जी महाराज जी के नाम दीक्षा लेने के पश्चात उनका जीवन पूरी तरीके से बदल गया। यहीं से उनकी संघर्ष की कहानी प्रारंभ होती है।
संत रामपाल जी महाराज जी को सन 1994 में नाम दीक्षा देने का आदेश प्राप्त हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप संत रामपाल जी महाराज जी को जूनियर इंजीनियर की नौकरी त्याग नहीं पड़ी। तबसे संत रामपाल जी महाराज जी घर–घर जाकर के सत्संग व पाठ किया करते थे। उस दौरान संत रामपाल जी महाराज जी के काफी संख्या में अनुयायी बनने लगे तथा उनका विरोध भी गांव गांव में होने लगा। कारण यह था कि संत रामपाल जी महाराज यथार्थता को उजागर कर रहे थे तथा सत भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे। साथ ही जो नकली साधना करते तथा करवाते थे उनकी पूजा को व्यर्थ भी बताते थे। जिसके परिणाम स्वरूप अज्ञानी धर्मगुरुओं ने संत रामपाल जी महाराज जी का विरोध करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज जी के विरोध करने का परिणाम ही करौंथा कांड था जो 2006 में तथाकथित अज्ञानी धर्मगुरुओं द्वारा झूठे आरोप में 2 वर्ष जेल तक भी जाना पड़ा और वर्तमान में भी 2014 से अब तक संत रामपाल जी महाराज जेल में रहकर संघर्ष कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी जेल में होने के बावजूद भी अनेकों जगह सत्संग आयोजन का प्रावधान कर रखे। 500 से भी अधिक नाम दीक्षा केंद्र खोले जा चुके हैं। 9 आश्रमों का निर्माण हो चुका है। दिन प्रतिदिन लगातार अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
संत रामपाल जी महाराज जी का यह महान परोपकार है जो जेल में होने के बावजूद भी इतने कम समय में अनेक पुस्तकों की रचना की है। जनता को सुखी करने के लिए तथा उनके जीवन का कल्याण करने के लिए "अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान", "जीने की राह", "मुक्तिबोध", "यथार्थ कबीर परिचय" इत्यादि पुस्तकों की रचना की जिसे समाज सत मार्ग से परिचित हो सके और अपना कल्याण करवा सकें। आज तक कोई भी धर्म गुरु एक परमेश्वर के विषय में जानकारी तक नहीं दे पाई और संत रामपाल जी महाराज जी ने पुस्तकों में उस एक परमेश्वर की भक्ति बताई तथा उसका नाम भी सद ग्रंथों में दिखाया। संत रामपाल जी महाराज जी ने अज्ञान के गुत्थी को सुलझा दिया है जो अब कभी भी उलझने वाला नहीं है।
"नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झक मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।"
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य यह है कि समाज को सत मार्ग दिखाना तथा आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करना। एक परमेश्वर की भक्ति पर जोर देना तथा समाज में विभिन्न बुराइयां जैसे– दहेज, पाखंडवाद, कुरीतियां, नशा, चोरी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार इत्यादि ऐसी समस्या है जो समाज को आगे बढ़ने नहीं देती। एक स्वस्थ समाज का निर्माण करने के लिए संत रामपाल जी महाराज आज बहुत संघर्ष कर रहे हैं हम तक ज्ञान पहुंचाने के लिए वह जेल तक चले गए। अतः आपसे प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखी गई पुस्तक "जीने की राह" जरूर पढ़ें।
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पवित्र पुस्तक "धरती पर अवतार"
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