Kabir Is God
#कबीरसाहेब_की_पहचान
संतों ने दी गवाही कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
कविर्देव, कबीर परमेश्वर जिनके एक रोम कूप में करोड़ों सूर्यों जैसा प्रकाश है तथा मानव सदृश हैं, अति तेजोमय अपने वास्तविक शरीर के ऊपर हल्के तेजपुंज का चोला (भद्रा वस्त्र अर्थात् तेजपुंज का शरीर) डाल कर हमें मृत्यु लोक (मनुष्य लोक) में मिलता है क्योंकि उस परमेश्वर के वास्तविक स्वरूप के प्रकाश को चर्म दृष्टि सहन नहीं कर सकती।
परमेश्वर कबीर साहिब जी अपने ऋतधाम (सतलोक ) से आकर दृढ़ भक्तों, पुण्यात्माओं को मिलते हैं। उन्हें ज्ञान व नाम उपदेश देकर अपने निजधाम सच्चखण्ड (सतलोक) ले जाकर वहां की सर्व स्थिति से परिचित करवाकर पुनः पृथ्वी पर छोड़ते है। वे प्यारी भक्त आत्माएँ परमात्मा की आँखों देखी जानकारी अपने अनुभव की वाणियों में लिपिबद्ध करते है।
परमात्मा की गवाही की उन संतों की वाणियों में प्रमाण है कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है।
कबीर परमेश्वर, नानक जी को जिंदा बाबा के रूप में बेई नदी के किनारे मिले और उनके आग्रह करने पर सतलोक दिखाया तब श्री नानक जी ने उनकी महिमा का वर्णन करते हुए कहा,
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदिगार
नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाख़ाक।”
कबीर साहेब को सतलोक में भगवान के रूप में देखने के बाद, श्री नानक जी के मुख से "वाहेगुरु" शब्द निकला।
"झांकी देख कबीर की नानक किती वाह,
वाह सिक्खां दे गल पड़ी कौन छुड़ावै ता।"
'वाहेगुरु' एक शब्द है जिसे अक्सर सिक्ख धर्म में ईश्वर, परम पुरुष या सभी के निर्माता के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज को,10 वर्ष की आयु में, कबीर परमेश्वर जिंदा रूप में सन् 1727 में नला नामक खेत में मिले और अपने सतलोक का साक्षी बनाया तब गरीब दास जी महाराज ने परमेश्वर की महिमा का वर्णन करते हुए कहा,
"अनंत कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सृजनहार।।"
आदरणीय दादू साहेब जी जब 7 वर्ष के बालक थे तब पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तब उन्होंने परमेश्वर की महिमा आंखों देखी और अपनी अमृतवाणी में उच्चारित की,
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार ।।
42 वर्ष की आयु में श्री मलूक दास साहेब जी को पूर्ण परमात्मा कबीर जी मिले तथा 2 दिन तक श्री मलूक दास जी अचेत रहे फिर निम्न वाणी उच्चारित की,
"चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर। दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।।"
धर्मदास साहेब जी बांधवगढ़, मध्यप्रदेश वालों को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में, मथुरा में मिले , सतलोक दिखाया तब उन्होंने परमेश्वर की महिमा गाते हुए कहा,
"आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।। सतलोक से चल कर आए, काटन जम की जंजीर।"
कबीर परमेश्वर, स्वामी रामानंद जी को 5 वर्ष के लीलामय शरीर में मिले और उन्हें गुरु धारण करके तत्वज्ञान समझाया व शरण में लिया,
स्वामी रामानंद जी की वाणी में प्रमाण -
बोलत रामानंद जी, सुन कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप मैं, तुमहीं बोलन हार।।
वेदों में परमेश्वर कबीर जी के तीन गुण बताए गए हैं जिसमें से तीसरा गुण है कि वह कभी भी, कहीं भी प्रकट होकर अपनी वाणिओं द्वारा अपने ज्ञान का प्रचार प्रसार स्वयं करता है, वह नेक लोगों को मिलता है और अपना ज्ञान समझाता है।
कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि :-
रात गंवाई सोय के ,दिवस गवाया खाय,
हीरा जन्म अनमोल था कोड़ी बदले जाय।
हम हीरे जैसे अनमोल मनुष्य जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। मनुष्य जीवन रहते हमें पूर्ण परमात्मा की पहचान कर सत्भक्ति करनी चाहिए।
आज पूर्ण परमात्मा कबीर जी की सही जानकारी संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। अतः समय रहते आप भी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानो और उनके द्वारा बताई गई भक्ति साधना करके अपना मोक्ष करवाओ।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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