Krishna Janmastmi
कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार।
जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि।।
पूर्ण परमात्मा मां के गर्भ से जन्म नहीं लेता।
🔸️श्री कृष्ण जी तीन लोक (पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक तथा पाताल लोक)के प्रभु हैं। ये भी राहत दे सकते हैं, परंतु परमेश्वर कबीर जी असँख्यों लोकों के प्रभु हैं। ये श्री कृष्ण से अधिक राहत यहाँ पृथ्वी लोक पर भी देते हैं तथा अपने भक्त/भक्तमति को पूर्ण मोक्ष प्रदान करके अमर लोक में भेज देते हैं। परम शांति प्रदान करते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने तैमूरलंग की एक रोटी खाकर उसे सात पीढ़ी का राज दे दिया था।
- संत रामपाल जी महाराज
🔸️श्री कृष्ण उर्फ श्री विष्णु तीन लोक के मालिक हैं। ये भी राहत दे सकते हैं, परंतु परमेश्वर कबीर जी असंख ब्रह्मण्डों के मालिक (प्रभु) हैं। वे जो राहत दे सकते हैं, वह श्री कृष्ण (श्री विष्णु) जी नहीं दे सकते। श्री कृष्ण जी ने तो केवल अठासी हजार ऋषियों का एक बार पेट भरा। कबीर परमेश्वर जी ने काशी शहर में अठारह लाख व्यक्तियों (साधु-संतों) का पेट तीन दिन तक दिन में दो-तीन बार भरा क्योंकि दक्षिणा के लालच में कोई प्रतिदिन तीन बार भोजन खाता था। दो बार तो प्रत्येक व्यक्ति खाता ही है।
- संत रामपाल जी महाराज
🔸️गीता अध्याय 2 श्लोक 12:- इसमें गीता ज्ञान बोलने वाले ने कहा है कि ‘‘न तो ऐसा ही (है कि) मैं किसी काल में नहीं था। और तू नहीं था अथवा ये राजा लोग नहीं
थे और न ऐसा (है कि) इससे आगे हम (मैं, तू तथा
ये राजा व सैनिक) सब (आगे) नहीं रहेंगे।
गीता अध्याय 4 का श्लोक 5 में गीता बोलने वाला ने स्पष्ट कहा है कि हे परन्तप अजुर्न! मेरे और तेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। उन सबको तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
विवेचन:- उपरोक्त श्लोकों से स्पष्ट हो गया है कि गीता ज्ञान दाता नाशवान है। उसका जन्म-मृत्यु होता है।
🔸️अविनाशी परमात्मा तो गीता ज्ञान दाता से अन्य है जो सर्व प्राणियों की उत्पत्ति करता है यानि जिससे यह जगत व्याप्त है। सबका धारण-पोषण करने वाला है। गीता ज्ञान दाता ने अर्जुन को उसकी शरण में जाने के लिए कहा है। कहा है कि यदि अर्जुन तू जन्म-मरण तथा जरा (वृद्धावस्था) से पूर्ण रूप से छुटकारा चाहता है तो मेरे से अन्य उस परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) की शरण में
जा।
प्रमाण: अध्याय 2 श्लोक 17, अध्याय 18 श्लोक 46, 61 तथा 62
🔸️कबीर जी ने कहा है कि:-
कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, क्षर पुरूष वाकी डार।
तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।।
अथार्त् गीता अध्याय 15 के श्लोक 1-3 में जो संकेत दिया है, उसको परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि संसार रूप वृक्ष का तना तो अक्षर पुरूष है जो सात संख ब्रह्मंडों का प्रभु (स्वामी) है। मोटी डार क्षर पुरूष है जो काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) भी कहा है जो इक्कीस ब्रह्मंडों का प्रभु है। तीनों देवता (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) उस वृक्ष की शाखा जानो। पत्तों
को संसार समझो। उस संसार रूप वृक्ष की मूल स्वयं कबीर परमेश्वर है जिसे गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में परम अक्षर ब्रह्म कहा है।
🔸️कबीर, गोवर्धन कृष्ण ने धारयो, द्रौणागिरी हनुमंत।
शेष नाग सब सृष्टि उठा रहा, इनमें कौन-कौन भगवंत।।
अथार्त् गोवर्धन पवर्त को श्री कृष्ण जी ने उठाकर ब्रजवासियों की इन्द्र से रक्षा की थी।
हनुमान जी ने द्रौणागिरी पार्वत को उठाया। पौराणिक व्यक्ति मानते हैं कि शेषनाग सब सृष्टि को अपने सिर रखे हुए है जिसमें पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक, पाताल आदि लोक हैं। इन सबको शेषनाग ने उठा रखा है। अब बताओ इनमें से किसको भगवान मानोगे?
🔸️गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में अपने से अन्य परमेश्वर की शरण में जाने की राय दी है। कहा है कि हे भारत! (तू) सब प्रकार से उस परमेश्वर की शरण में जा (जिसके विषय में ऊपर कहा है), उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा।
🔸️गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरूष यानि पुरूषोत्तम तो अन्य ही है जो परमात्मा कहा जाता है। वास्तव में अविनाशी परमेश्वर यानि परम अक्षर ब्रह्म है।
इस प्रमाण से स्पष्ट हुआ है कि श्री विष्णु उर्फ श्री कृष्ण से अन्य परमेश्वर है जो वास्तव में अविनाशी है। सबका धारण-पोषण कर्ता है। परम शांतिदायक है। जन्म-मरण से छूटने के लिए गीता ज्ञान देने वाले ने अर्जुन के माध्यम से भक्त समाज को अपने से अन्य कबीर परमेश्वर की शरण में जाने के लिए कहा है।
🔸️श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं कहा। उनके शरीर के अंदर प्रेतवत् प्रवेश करके काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) ने बोला था।
🔸️श्री विष्णु (श्री कृष्ण) केवल चार भुजा से युक्त हैं। ये दो भुजा तो बना सकते हैं, परंतु चार से अधिक का प्रदशर्न नहीं कर सकते। काल ब्रह्म हजार (संहस्र) भुजा
युक्त है। यह एक हजार तथा इन से नीचे भुजाओं का प्रदर्शन कर सकता है। हजार भुजाओं से अधिक का प्रदर्शन नहीं कर सकता। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की असंख्य भुजाएं हैं।
🔸️गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता ने बताया कि हे अर्जुन! मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब प्रवृत हुआ हूँ अथार्त् श्री कृष्ण के शरीर में अब प्रवेश हुआ हूँ।
सर्व व्यक्तियों का नाश करूँगा। विपक्ष की सर्व सेना, तू युद्ध नहीं करेगा तो भी नष्ट हो जाएगी।
🔸️श्री देवी महापुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 4-5 में श्री विष्णु जी ने अपनी माता दुर्गा की स्तुति करते हुए कहा है कि हे मातः!
आप शुद्ध स्वरूपा हो, सारा संसार आप से ही उद्भाषित हो रहा है, हम आपकी कृपा से विद्यमान हैं, मैं, ब्रह्मा और शंकर तो जन्मते-मरते हैं, हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है, हम अविनाशी नहीं हैं।
🔸️कबीर, चार भुजा के भजन में, भूलि परे सब संत । कबिरा सुमिरै तासु को, जाके भुजा अनंत ।।
श्री कृष्ण जी चतुर्भुजी भगवान थे। कबीर साहेब जी वह परमात्मा हैं जिनकी अनंत भुजाएं हैं।
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🔸️भगवान श्री कृष्ण जी केवल तीन लोक के मालिक हैं। सतोगुण युक्त कृष्ण जी पूर्ण परमात्मा नहीं हैं। तीनों देवता; श्री ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी, 21 ब्रह्मांड के मालिक, ब्रह्म की संतान हैं। ये अविनाशी नहीं है। इसलिए ये पूर्ण परमात्मा नहीं हैं।
🔸️क्या हरे कृष्णा जाप करने से मोक्ष संभव है? परमेश्वर कबीर साहिब जी कहते हैं
कबीर, तीन गुणन की भक्ति में, भूलि, पड़यो संसार । कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरे पार ।।
निज नाम क्या है, वास्तविक मंत्र क्या है?
देखिए साधना टीवी 7:30 PM (IST)
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श्री कृष्ण जी तीन लोक (पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक तथा पाताल लोक)के प्रभु हैं। ये भी राहत दे सकते हैं, परंतु परमेश्वर कबीर जी असँख्यों लोकों के प्रभु हैं। ये श्री कृष्ण से अधिक राहत यहाँ पृथ्वी लोक पर भी देते हैं तथा अपने भक्त/भक्तमति को पूर्ण मोक्ष प्रदान करके अमर लोक में भेज देते हैं। परम शांति प्रदान करते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने तैमूरलंग की एक रोटी खाकर उसे सात पीढ़ी का राज दे दिया था।
- संत रामपाल जी महाराज
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